चंदा मामा गोल मटोल कुछ तो बोल कुछ तो बोल कल थे आधे आज हो गोल खोल भी दो अब अपनी पोल रात होते ही तुम आ जाते संग संग सितारे लाते और दिन मे कहा छिप जाते हो कुछ तो बोल कुछ तो बोल वो भी भागी ले पिचकारी हो गया न आज कमाल
आओ बच्चो प्यारे बच्चो मिलकर खेले हम एक खेल आगे पीछे जुड़कर बच्चो चलो बना ले लम्बी रेल जो तोड़ेगा खेल की रेल उसको जाना होगा जेल अगर प्यार से खेले हम सब बढ़ता है बच्चो मे मेल
कौवा आया कौवा आया छीन किसी से रोटी लाया एक लोमड़ी बड़ी सायानी उसमे मुहं मे आया पानी बोली भैया गीत सुनाओ गीत सुनाकर मन बहलाओ सुनकर यह कौवा हर्षाया कावं कावं करके कुछ गाया गिरी चोच से उसकी रोटी भाग उठी लोमड़ी मोटी
रंग-बिरंगे प्यारे फूल प्रातः बाग में खिलते फूल भौरें रहे कलियों पर झूल सूरज जब सिर पर आता खूब गर्मी बरसाता लेकिन जब है बारिश आती गर्मी सारी कहीं भाग जाती तब खिलते हैं धरती पर रंग-बिरंगे प्यारे फूल सभी फूल हंसते हैं बाग में जैसे बच्चों की मुस्कान
मेरी गुड़िया प्यारी-प्यारी बातें उसकी न्यारी-न्यारी नन्हीं सी यह फूल सी बच्ची छोटी सी पर दिल की सच्ची कोमल-कोमल हाथों वाली नीली-नीली आँखों वाली गोरे-गोरे गाल हैं उसके भूरे-भूरे बाल हैं उसके
बसंत की हवा के साथ रंगती मन को मलती चेहरे पर हाथ ये होली लिए रंगों की टोली लाल गुलाबी बैंगनी हरी पीली ये नवरंगी तितली है आज तो जाएगी घर घर दर दर ये मौज मनाएंगी भूल पुराने झगड़े सारे सबको गले लगाएगी पीली फूली सरसौं रानी
प से पापा, म से मम्मी, पापा- मम्मी रोज हमें जगाते है। द से दादा- दादी, गोदी मे घुमाते है। न से नाना-नानी, प्यार दुलार जताते है। और घर में हैं जो अन्य सदस्य हमको खूब खेल खिलाते हैं।
होली है रंगो का त्यौहार, ईद में सबको गले लगाओ, राखी में मिलता है बहिनों का प्यार, आयी दीवाली दीये जलाओ, क्रिसमस पर खुशियाँ फैलाओ, मिलकर सब त्यौहार मनाओ।
बच्चो तुम हो प्यारे-प्यारे, जैसे होते है फल सारे। सेब, अनार, पपीता खाओ, जल्दी से सेहतमंद बन जाओ। कैला, आम, तरबूज भी जो खाओ, दिनभर की ताजगी पाओ। संतरा, अंगूर, चीकू जो तुम खाओ, मस्ती में फिर तुम खो जाओ। ये सब फल मिलते हैं पेड़ों से, फिर मिल-जुलकर सब पेड़ लगाओ।
नदी के जैसे सरल बनो, पर्वत से तुम अडिग रहो। सूरज जैसी आभा वाले, चंदा जैसे शालीन बनो। करो उपकार वृक्ष के जैसे, परिश्रम करो तुम चींटी जैसा। यह छः बातें जो तुम अपनाओ, जग में ऊँचा नाम कमाओ।
भारत देश का नाम है, तिरंगा झंडा इसकी शान है। अलग-अलग हैं बोली-भाषा, कहीं पहाड़, तो कहीं मैदान हैं। बहुत बड़ा है देश हमारा, परम्पराओं पर हमको अभिमान है। अनेकता में एकता, यही हमारा संविधान है।
चिड़ियाँ हमें जगाती हैं, रोज सुबह उठ जाती हैं। फिर वो दाना चुगनें जाती हैं, समय समय पर घर आती हैं। अपने बच्चों को दाना भी खिलाती हैं, तिनका बीनकर घोसला बनाती है। फिर शाम ढले नित्य एक समय से सोने को वो जाती हैं।